पाषाण काल stone Age (प्राचीन इतिहास)

इस पोस्ट में हम प्राचीन इतिहास मे प्रागौतिहासिक काल के अंतर्गत पाषाण काल का अध्ययन करेंगे, 

पाषाण काल 

इस विषय पर चर्चा करने से पहले यह जान लेना आवश्यक है, कि सम्पूर्ण इतिहास को तीन भागो मे विभाजित किया गया है! 1) प्राचीन इतिहास 2) मध्यकालीन इतिहास 3) आधुनिक इतिहास जैसा की हमने आपको इसकी जानकारी अपनी पिछली पोस्ट मे दी थी! लेकिन यहाँ एक बात को गंभीरता से समझना आवश्यक है की यह विभाजन किस आधार पर किया गया है! 

मानवीय सभ्यता के विकास मे इतिहास का विभाजन दो आधार पर किया गया है 
  • लिपि- लिपि के आधार पर मानव सभ्यता के विभाजन को दर्शाया गए है
  • मानव द्वारा प्रगोग मे लाये गए औजारों अथवा उपकरण के आधार पर          
यदि  लिपि के आधार पर हम विभाजन को देखे, 
  • प्रागैतिहासिक काल( Prehistory):-इतिहास का वह काल जब मानव द्वारा लिपि का विकास नहीं हुआ था साधारण शब्दों में इतिहास का वह समय जब मानव पढ़ना लिखना नहीं जनता था! 
  • आद्य-इतिहास( Protohistory):- आद्य-इतिहास उस काल को कहते है जिस काल में लिपि लेखन कला के प्रचलन के बाद भी उपलब्ध लिपि या लेख को वर्तमान समय में पढ़ा नहीं जा सका है! 
  • इतिहास( History):-यह वह काल काल है जिसके लिए लिखित विवरण उपलब्ध है तथा उन विवरणों, लिपि,लेख इत्यादि को वर्तमान समय में पढ़ा व समझा जा सकता है!  
यदि मानव दवारा प्रयोग में लाये गए औजारों अथवा उपकरणों के आधार पर देखे,
  • पाषाण युग ( Stone Age):-पाषाण युग इतिहास का वह काल है जिस समय मानव का जीवन पूर्णतः पत्थरों( जिसे संस्कृत में पाषाण कहा जाता है) पर आधारित था! 
  • कांस्य युग ( Bronz Age):- कांस्य युग वह काल है,जिसमे मानव ने तांबे( ताम्र ) तथा उसके साथ मिश्रित धातु कांसे का प्रयोग किया     
  • लौह युग(Iron Age):-लौह युग उस काल को कहते है जिस काल में मनुष्य ने लौहे का प्रयोग किया!    
अगर इस विभाजन को देखा जाए तो हम यह निष्कर्ष निकाल पाते है कि, 
  1. प्रगौतिहासिक जिस समय लिपि का विकास नहीं हुआ था ऐसे समय में हम पाषाण काल को पढ़ते है 
  2. आद्य इतिहास जिस समय की लिपि को पढ़ा नहीं गया है इसके अंतर्गत सिंधुघाटी सभ्यता को रखा जाता है 
  3. इतिहास छठी शताब्दी ई.पू से वर्तमान काल इसके अंतर्गत आता है 

प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत

पाषाण काल 

इतिहास का वह काल जब मानव के जीवन की प्राथमिक आश्यकता पत्थर थी उदहारण के लिए-  पत्थरों के औजारों से शिकार तथा अपनी सुरक्षा करना, पत्थरो की गुफाओं में रहना,पत्थरो का इस्तेमाल कर आग जलना आदि पूरे पाषाण काल को इतिहासकारो के दवारा 3 भागों में विभाजित किया गया है
  1. पुरापाषाण काल ( Paleolithic Era)
  2. मध्यपाषाण काल (Mesolithic Era)
  3.  नवपाषाण काल ( Neolithic Era)

पुरापाषाण काल 

भारत की पुरापाषाण युगीन सभ्यता का विकास "प्लेस्टोसीन काल " या हिमयुग में हुआ प्लेस्टोसीन काल में पृथ्वी की सतह का ज्यादातर भाग खासकर अधिक ऊंचाई वाला स्थान बर्फ से ढका रहता था परन्तु पर्वतों को छोड़ उष्ण -कटिबंधीय क्षेत्र बर्फ से मुक्त था, पाषाणकाल को मानव दवारा इस्तेमाल किये जाने वाले पत्थर के औजारों तथा जलवायु में होने वाले परिवर्तन के आधार पर तीन अवस्थाओं में बाँटा गया है!
 
 a.निम्नपुरापाषाण काल :-अधिकतम निम्नपुरापाषाण काल हिम-युग में गुजरा है इस काल में मानव क्वार्टजाइट,जेस्पर पत्थर से बने औजारों का इस्तेमाल करते थे साथ ही 'कुल्हाड़ी ' या  'हस्त कुठार'( हैंड-एक्स), विदारणी(क्लीवर) और खंडक(चॉपर) का उपयोग करते थे पत्थर के औजार से मुख्य रूप काटने,खोदने और छिलने का काम किया जाता था !  चोप्पिंग पेवुलइस प्रकार का उपकरण ( पकिस्तान-बलूचिस्तान) की सोहन नदी घाटी से प्राप्त हुए है हस्त कुठार दक्षिण भारत में मद्रास के समीप बादमदुराई तथा अतिरिमपक्कम से प्राप्त हुआ है!
 
b. मध्य -पुरापाषाण काल :-इस काल  मुख्यत पत्थर की पपड़ी से बनी वस्तुओं  का उपयोग होता था फलक,वेधनी,छेदनी और खुरचनी पपड़ी के बने मुख्य औजार है मध्य- पुरापाषाण स्थल जिन क्षेत्रों में मिलते है आम तौर पर उसी क्षेत्रों में निम्नपुरापाषाण स्थल भी पाए गए है! 

c.उच्च-पुरापाषाण काल:-आधुनिक प्रारूप के मानव "होमोसेपियंस" का उदय इस काल में हुआ
       

 पुरापाषाणकालीन महत्वपूर्ण स्थल 

1. भीमबेटका (मध्यप्रदेश)- (शैलाशय निवास) प्राप्त 
2. आदमगढ़ (मध्यप्रदेश )- शिल्प उपकरण  प्राप्त 
3. नेवासा (महाराष्ट्र)- उच्च कोटि के उपकरण प्राप्त 
4. पल्लवरम ( मद्रास)- साबसे पहले हैंड एक्स का प्रमाण 
5. सोहनघाटी,बेलघाटी,नर्मदा घाटी, तुंगभद्रा घाटी 
6. लोहदानाला (उत्तर -प्रदेश)- मातृदेवी की प्रतिमा प्राप्त 
7. पहलगाम(कश्मीर)- हाथ की कुल्हाड़ी 

पुरापाषाण कालीन महत्वपूर्ण बिंदु 

  • इस काल को भोजन संग्राहक और शिकारी  का समय भी माना जाता है 
  • इस काल में मानव का आग से परिचय अवश्य था परन्तु आग को अपने जीवन में प्रयोग में नहीं लाया गया था 
  • इस काल के मानव के शारारिक अवशेष प्राप्त नहीं होते है!

मध्यपाषाण काल 

  1. प्राचीन इतिहास में मध्यपाषाण काल पुरापाषाणकाल और नवपाषाणकाल के बीच का संक्रमण काल  है!
  2. इस काल मे मानव द्वारा पशुओ को पालतू बनाया गया तथा पशुपालन का कार्य आरम्भ हुआ!
  3. मध्यपाषाण काल के लोग शिकार करके, मछली पकड़ कर और खाद्य सामग्री को संग्रहित कर अपना पेट भरते थे!
  4. शिकार करना, मछली पकड़ना तथा भोजन सग्रहित करना ये पेशे पुरापाषाण काल से ही चले आ रहे थे परन्तु पशु पालन का यह पेशा नवपाषाण संस्कृति से भी जुड़ता है!
  5. इस काल के मानव द्वारा विशिष्ट औज़ार प्रयोग मे लाये गए जो "सुष्म पाषाण" या पत्थर के बहुत छोटे औजार, जिन्हे "मैक्रोलिथस" भी कहा गया!

मध्यपाषाण कालीन प्रमुख स्थल  

  • सरायनाहर राय( उत्तर प्रदेश,प्रतापगढ) -क्षत -विक्षत अवस्था मे 37 नर कंकाल प्राप्त हुए है, ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ युद्ध हुआ था 

--> एक कब्र मे चार मानव कंकाल साथ मे दफनाए जाने के साक्ष्य है!

--> 8 गर्त चूल्हे जो सामूहिक निवास को दर्शाते है!

-->  मानव का पूर्ण कंकाल प्राप्त हुआ है!

  • महदहा( उत्तर प्रदेश, प्रतापगढ़ )- हड्डी के उपकरण व आभूषण प्राप्त
 --> युगल शवाधान- अंडाकार कब्र जिसमे पुरुष तथा महिलाओ को साथ मे दफनाते थे, प्राप्त 

-->स्तम्भ गर्त चूल्हे, एक सिलबट्टा, 28 कब्रों मे से 3 कंकाल 

  • दमदमा( उत्तर प्रदेश, प्रतापगढ़) - 41 नर कंकाल तथा 5 युगल शवाधान प्राप्त
  • लेखिया( उत्तर प्रदेश,मिर्जापुर) - 17 नर कंकाल 
  • बागौर( राजस्थान,भीलवाड़ा) - पशुपालन के प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त 
  • आदमगढ़(मध्यप्रदेश,होशंगाबाद) - पशुपालन के साक्ष्य 
  • सांभर(राजस्थान, जयपुर) - प्राचीनतम वनस्पति के साक्ष्य प्राप्त   
  • लेहनाज( गुजरात,मेहसाणा) - 14 नर कंकाल और चक्की का पाट 

नवपाषाण काल  

  1.  प्रागौतिहासिक काल में  8 हजार- 6 हज़ार ई.पू का काल नवपाषाण काल माना जाता है नवपाषाण काल शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग "जॉन लुबाक" ने  'Pre  Historic Times' नामक Magzine में किया था
  2. नवपाषाण काल में मानव के हथियार धार-दार बन गए थे ऐसे औज़ार जो नवपाषाण काल से संबंधित है, सर्वप्रथम उत्तर भारत में खोजे गए थे 
  3. नवपाषाण काल का मानव कृषि से भली भांति परिचित था अब वह अपना भोजन आखेट,कंदमूल या संग्राहक के द्वारा नहीं करता था नवपाषाण काल में मानव घुमंतू होने के बजाये स्थायी निवास करके कृषि गतिविधि में सम्मिलित हो गया था इस काल में परिवार,ग्राम आदि जैसे संस्थाएँ अस्तित्व में आ गयी थी 
  4. अब मानव ने चाक तथा हाथों के द्वारा मृदभाण्डो का विकास करना आरंभ कर दिया
  5.  इस युग में लोग 'पालिशदार पत्थरों के औजार' तथा हथियारों का प्रयोग करने लगे वह ख़ास तोर से पत्थर के कुल्हाड़ियों का इस्तेमाल किया करते थे यह कुल्हड़िया देश के पहाड़ी इलाको के अनेक भागों में विशाल मात्रा में पाई गयी है 
  6. नवपाषाण युगीन  लोग एक झील के किनारे जमीन के नीचे घर बना कर रहते थे तथा शिकार तथा मछलियों पर जीते थे!
  7. एक नवपाषाण स्थल- गुफकराल अर्थात कुम्हार की गुहा यहाँ के लोग कृषि तथा पशुपालन दोनों गतिविधिया करते थे!

नवपाषाण कालीन महत्वपूर्ण स्थल 

  • बुर्जहोम( जम्मू-कश्मीर- मानव के साथ कुत्तो को दफ़नाने तथा झीलों के किनारे गर्त आवास प्राप्त 
  • मुफ्फकराल( जम्मू-कश्मीर)- गर्त आवास हड्डी के उपकरण 
  • मेहरगढ़( बलूचिस्तान)-सबसे प्राचीन बस्ती (कच्ची ईटो के आयतकार घर)
--> कृषि के सबसे प्राचीनतम साक्ष्य- गेहू, जौ, कपास, अंगूर व खजूर 
--> भैंस के प्रचीनतम साक्ष्य 
--> बलूचिस्तान को किसी  समय रोटी की टोकरी भी कहते थे!
  • महगौरा(उत्तर प्रदेश)- प्राचीनतम गौशाला 
--> धान और जौ के साक्ष्य 
-->गोलाकार झोपडी के साक्ष्य 
  • चिरांद( बिहार)- सर्वाधिक हड्डी के उपकरण 
  • गोबर से बानी राख के टीले- उत्नूर,कूपगल,कोडक्कल से प्राप्त है   
इस पोस्ट में हमने प्राचीन इतिहास के अंतर्गत प्रागौतिहासिक काल या पाषाणकाल का अध्यन किया है  यदि आपको हमारा पोस्ट पसंद आया है तो कृपया इसे शेयर करे तथा अपना फ़ीडबैक हमे कमेंट के माध्यम से अवश्य दे ,
धन्यवाद,जय हिन्द 

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